समय की धारा में विलीन हो गया एक हरा-भरा गाँव
A story News at Jonai: यहाँ कभी एक गाँव हुआ करता था! नदी, बगीचे और खेत-खलिहान थे। पचास परिवार हंसी-खुशी से यहाँ रहते थे। लेकिन अब वह उपजाऊ खेत और हरियाली समाप्त हो चुकी है। आज यह गाँव सुनसान है। हर तरफ केवल रेत और गाद से ढका हुआ है।
न कोई इंसान है, न पहले जैसे हरे-भरे धान के खेत। घर अब भी खड़े हैं, लेकिन वे जर्जर बांस और लकड़ी के खंडहर जैसे दिखते हैं, जो केवल इस गाँव की दुखद मृत्यु की गवाही दे रहे हैं। ऐसा लगता है जैसे किसी भीषण भूकंप ने इस क्षेत्र को बुरी तरह झकझोर दिया हो। लेकिन यह भूकंप नहीं है।
यह दृश्य है जोनाई के असम-अरुणाचल सीमा पर स्थित शिवगुरी गाँव का।
A story News at Jonai जोनाई में आई पहली बड़ी बाढ़ में, सियांग, दिबांग और दतूंग नदियों के उफान ने शिवगुरी गाँव को पलक झपकते ही तबाह कर दिया। बाढ़ में फंसे पचास परिवारों को जोनाई प्रशासन की तत्परता से SDRF टीम ने बचाया और उन्हें राहत शिविर में अस्थायी रूप से रहने का इंतजाम किया गया।
लेकिन क्या इस गाँव की ऐसी हालत में वे लोग फिर से घर बनाकर बस पाएंगे? क्या यह उनके लिए संभव होगा?
A story News at Jonai आज वे लोग लगभग पाँच महीने से राहत शिविर में बंद हैं। एक ही घर में पचास परिवार कैद हैं। न कोई खेती है, न कोई सुविधा। केवल समय के इंतजार में वे एक ही घर में रातें बिता रहे हैं।
आज वे सरकार और प्रशासन से एक ही अपील कर रहे हैं कि उन्हें जल्द से जल्द किसी सुरक्षित स्थान पर स्थायी रूप से बसाया जाए।
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